Hello दोस्तों कैसे है आप सभी| वैसे तो हमारी team हमेसा आप लोगो के लिए important study material लेकर आते है इसलियें आज हमने आप के लिए Indian Panchayati Raj System (पंचायती राज 2018) लेकर अये है जो की किसे भी competitive एग्जाम में बहुत उपयोगी होगी Indian Panchayati Raj System (पंचायती राज 2018) में आपको सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गई है| आप नीचें दियें गये button से download कर सकते है |

Indian Panchayati Raj System (पंचायती राज 2018) सम्पूर्ण जानकारी
- पंचायती राज एक दर्शन और विचार धारा है|
- यह केवल शासन स्वाशन तक सीमित विचार नहीं है|
- इसका व्यापक अर्थ है की यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का पर्याय है|
- यह गाँधी जी के सर्वोदयी शासन का पर्याय है|
- यह शासन सत्ता को आम लोगो तक पहुचने का साधन है| अर्थात यह सहभागी लोकतंत्र का पर्याय है|
एतिहासिक विकास पंचायती राज –
- 1870 में लार्ड मेयो ने भारत में स्थानीय शासन लागु करने की अनुशंसा की|
- लार्ड रिपन के कार्यकाल में पहली बार स्थानीय शासन बोर्ड की स्थापना हुई, जो स्थानीय शासन के विकास में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक उपलब्धि मानी गई|
- राष्ट्रिय आन्दोलन में महात्मा गाँधी जी ने पंच्याती राज को अत्यंत लोकप्रिय बना दिया|
- संविधान सभा में पंचायती राज व्यवस्था का समर्थन प्रसिद्ध गांधीवादी श्रीमान नारायण अग्रवाल ने किया और पंचायती राज को संविधान के निर्देशन तत्वों के भाग में सम्मलित किया गया| (अनुच्छेद-40)
- स्वतंत्र भारत में जे.सी. कुमारप्पा ने गांधीवादी आदर्शो के अधर पर गांधीवादी अर्थवस्था का समर्थन किया|
स्वतंत्र भारत में पंचायती राज का विकास –
- स्वतंत्र भारत में ग्रामीण जनता के जीवन स्टार में वृद्धि के लिए 1950 में ‘सामुदिक विकास कार्यक्रम’ एवं ‘रास्ट्रीय विस्तार सेवा कार्यक्रम’ फोर्ड फाउंडेशन (Ford Foundation) की मदद से लागु किया गया|
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण लोगो को सस्ते बीज और बेहतर तकनिकी सुविधाए देने का प्रयत्नं किया गया, परन्तु एस कार्यक्रम को अपेछित सफलता नहीं मिली| इसलिए सामुदायिक विकास कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन के लिए ‘बलवंत रॉय मेहता समिति’ की स्थापना हुई| जिसकी रिपोर्ट निम्नलिखित है-
- त्रिस्तरीय पंचायती राज की स्थापना की जाएगी|
- इसके अंतर्गत ग्राम पंचायती का चुनाव प्रत्यक्ष एवं सीधा होगा| जबकि पंचायती समिति एवं जिला समिति का चुनाव परोक्ष रूप में होगा|
- नियोजन व विकास की सभी गतिविधिया इन संस्थाओ को सोपी जाय|
- पंच्याती समिति, (खंड स्तर) कारकरी निकाय के रूप में होगी| जबकि जिला परिषद् की भूमिका सलाहकारी, समन्याकारी एवं पर्यवेक्षण की होगी|
- जिला परिषद् का चेयरमैन जिलाधिकारी होगा|
- इन संस्थाओ के प्रभावी कार्यकरण के लिए उन्हें पर्याप्त संसाधन स्तान्तरित किये जय और भविष्य में शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया जाय|
स्वतंत्र भारत में पंचायती राज का विकास –
- बलवंत राय मेहता की सिफ़ारिशो के बाद पहली बार २ अक्टूबर १९५९ को राजस्थान के नागोर जिले में पंच्याती राज लागु किया गया| दूसरा राज्य आँध्रप्रदेश था, जन्हा पंच्याती राज लागु हुआ|
- परन्तु 60 के दशक में भारतीय राजनितिक वयवस्था में अनेक संकट देखे गये| दो युद्ध, (भारत-चीन के बीच एवं भारत-पाकिस्तान के मध्य) खादन्न तथा आर्थिक संकट| इसलिए पंचायतो का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो सका|
स्वतंत्र भारत में पंचायती राज का विकास –
- जनता पार्टी सरकार ने 1978 में ‘अशोक मेहता समिति’ की स्थापना की| जिसने 1978 में अपनी रिपोर्ट दी, जिसकी मूल अनुशासय है-
- द्विस्तरीय पंचायती राज होगा, जिसमे जिला परिषद् एवं मंडल पंचायती नमक दो स्तर होंगे|
- 15 से 20 हजार आबादी के लिए एक मंडल पंचायती गठन होगा|
- समिति ने जिला स्तर को सर्वाधिक महत्वा दिया, तथा इसे जनपद स्तर पर योजनाओ के निर्माण के लिए उत्तरदायी और कार्यकारी निकाय के रूप में माना|
- पंचायतो के चुनाव में सभी स्तर पर राजनितिक दलों की भागीदारी को ओपचारिक मंजूरी दे दी गई|
- समिति ने पंचायती राज संस्थाओ को करारोपण की शक्तिया एवं अपने संसाधन उगाहने की शक्ति देने की भी अनुशंसा की|
- राज्य सरकारों के द्वारा पंचायती राज संस्थाओ के कार्यकरण में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए|
- पंचायतो के विघटन के बाद चुनव 6 महीने की अवधि में ही हो जाने चाहिए|
- पंचायतो में अनुसूचित जाती और जनजातियो को उनकी जनसँख्या के अनुपात में सीते आरक्षित करने की सिफारिश की|
- इस समिति ने ‘पंचायती राज वित्त निगम’ की स्थापना का भी सुझाव दिया|
- समिति के अनुशार, राज्य सरकार के मंत्री परिषद् में एक पंच्याती राज मंत्री की भी नियुक्ति होनी चाहिए|
- राज्य के मुख्या निर्वाचन द्वारा भारत के मुख्या निर्वाचन आयुक्त की सलाह से पंचायतो के चुनव आयोजन होने चाहिए|
- विकास पंचायत से अलग एक न्याय पंचायत की भी स्थपना होनी चाहिए, जिसका अध्यक्ष एक न्यायधीश हो|
दंतोवाला समिति –
- इस समिति ने खंड स्तर पर नियोजन की अनुशंसा की| तथा गाँव, जनपद एवं रास्ट्रीय स्तर पर नियोजन को अन्तेर्सम्भंधित करने पर बल दिया|
जी. वी. के. राव समिति (1985) –
- योजना योग ने ‘ग्रामीण विकास एवं गरीबी निवारण कार्यक्रम’ की समीक्षा के लिए (1985) में इस समिति की स्थापना की|
अनुशंसाए –
- ग्रामीण विकास के लिए पंचायतो का पुनर्जीवन आवश्यक है|
- इसके अनुसार, जिला पार्षद सभी विकास के कार्यक्रमों के निर्धारण में केन्द्रीय संस्था होनी चाहिए|
- समिति ने वित्त आयोग के गठन, पंचायतो का कार्यकाल 5 वर्ष और त्रिस्तरीय पंचायतो के गठन का सुझाव दिया|
लक्ष्मीमल सिंधवी समिति (1985) –
- राजीव गाँधी सरकार ने लोकतंत्र एवं विकास के लिए पंचायतो के पुनार्व्जिवान नामक समिति की स्थापना की, जिसके अध्यक्ष एल.एम्. सिंधवी थे|
अनुशंसाए –
- पंचायतो को संवैधानिक अधर प्रदान किया जाए|
- त्रिस्तारिये पंचायतो का गठन किया जाय| यह तीन स्तर एस प्रकार होगा-ग्राम स्तर, खण्ड स्तर तथा जिला स्तर पर|
- पंच्य्तो के चुनव एक निश्चित अवधि में संपन्न करने के लिए एक निर्वाचन योग की व्यवस्था की जाय|
- वित्त आयोग के प्रभावी कार्यकरण के लिए पर्याप्त अनुदान देना|
- राजनितिक डालो की सहभागिता को हतोत्साहित करना|
- पंच्यातो में विवाद निपटने के ओइए न्याय पंचायत के गठन का सुझाव|
छात्रों अधिक जानकारी के दिए गये Indian Panchayati Raj System (पंचायती राज 2018) को Download करे :– प्रमुख बिंदु PDF में
- पी. के. थुगन समिति (1988)-
- विभिन्न सरकारों द्वारा पंच्याती राज लागु करने के लिए किये गये प्रयास-
- 73वां संविधान संशोधन के प्रावधान
- राज्यों का निर्वाचन एवं राज्य निर्वाचन आयोग
- पंच्यातो में आरक्षण-
- पंच्यातो का कार्यकाल –
- राज्य वित्त आयोग –
- पंच्यातो के सदस्यों की योग्यताये-
- ग्रामसभा के कार्य-
- खंड पंचयत के कार्य-
- पंच्यातो का क्या अधिकार नहीं है-
- जिलापरिशादों के विभिन्न नाम-
- पंच्याती राज और मनारेगा-
Indian Panchayati Raj System (पंचायती राज 2018)
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